Thursday, November 27, 2008
Friday, November 14, 2008
मानसिकता बदलें मारवाड़ी समाज के कर्णधार
बीते दिनों महानगर में बीसों जगह 'मारवाड़ी' नाम वाली संस्थाओं ने दीपावली प्रीती सम्मलेन आयोजित किया। सभी का दावा यही था की समाज में एकता, भाईचारा, सामाजिक सौहार्दता बढाने में ऐसे कार्यक्रम मददगार साबित होंगे। किंतु जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर दिखाई पड़ी। हर संस्था के कार्यक्रम में यही दिखा की उस संस्था के पदाधिकारी, कार्यकारिणी समिति के लोग तथा सदस्यगण ही आयोजन में नज़र आ रहे थे। आम मारवाड़ी, जो किसी संस्था का पदाधिकारी या सदस्य नहीं ही, उसका इन कार्यक्रमों से कोई लेना-देना नही था। ऐसे लोगों को यह भी पता नहीं चला की हमारे समाज के लोग समाज के लिए क्या कर रहे हैं। सवाल यह ही की क्या इसी तरह सामाजिक एकता आ जायेगी? 'अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग' बजाना क्या उचित हैं? क्या ऐसा नही हो सकता कीएक बड़ा बैनर बनाकर समूचे मारवाड़ी समाज को एक जगह लाया जाए। किसी बड़ी जगह में दिनभर का कार्यक्रम आयोजित कर समाज के लोगों को एक-दुसरे के करीब लाया जाए? इन कार्यक्रमों में राजस्थान से लोक कलाकारों को बुलाया जाए ताकि लोग राजस्थानी कला, संस्कृति के नजदीक पहुँच सकें। हमारे समाज के कर्णधार ऐसा करें तो उनका प्रयास सार्थक होगा और समाज का भी भला होगा। उम्मीद ही जल्दी ही ऐसा देखने को मिलेगा।
- संपादक
Thursday, November 13, 2008
पाठको से
Friday, November 7, 2008
मेरा आपकी कृपा से हर काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है
